कुछ बूँदें हॆं...मेरी अपनी हॆं.. बावरी हॆं..छ्लकती रहती हॆं.. मुझे बहुत प्यारी हॆं... सोचा, यहाँ उन्हें जमा करती रहूँ .
Friday, July 23, 2010
एक काफ़िर दोस्त की तरफ से -
में ज़िन्दगी की बारिश में हरदम सराबोर रहती हूँ..
कुछ बूँदें हैं प्यार की
कुछ दोस्ती की
कुछ अपनों से अनबन की
कुछ गैरों से मोहब्बत की
कुछ बचपन के मासूमियत की
कुछ जवानी के पागलपन की
ये बूँदें साथ चलती हैं हमेशा मेरे
में इन बूंदों में भीगी हुई रहती हूँ हमेशा
इनमें से कुछ बूंदों ने सयाना बनाया हैं तो कुछ बांवरी थी जिन्होंने बताया के ज़िन्दगी किताबों के बाहर भी होती हैं...
बस येही पेश कर रही हूँ....
उम्मीद हैं आपको कहीं न कहीं अपनी ज़िन्दगी का अक्स दिखाई देगा इनमें...
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badhiya hain....
ReplyDeletehaan..bahut badhiya..:)
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